क्या होता हैं मृत्यु के समय ? - कल्याण मित्र सत्यनारायण गोयनका
इसे समझने से पहले थोड़े में यह समझ लें कि मृत्यु है क्या ? मृत्यु सतत् प्रवाहमान परिवर्तनशील नदी जैसी भवधारा का एक मोड़ है, उसका एक पलटाव है, एक घुमाव है । लगता यों हैं कि मृत्यु हुई तो भवधारा ही समाप्त हो गई । परन्तु बुद्ध या अरिहन्त हों तो बात अलग है अन्यथा सामान्य व्यक्ति की भवधारा मरणोपरान्त…